दमण एवं दीव के सांसद उमेशभाई पटेल ने दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव के प्रशासक के सलाहकार अमित सिंगला को पत्र लिखा है। सांसदने पत्र में स्पष्ट शब्द में व्यक्त किया है कि दमण कलेक्टर और रजिस्ट्रार अधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।
सांसदने पत्र के माध्यम से कहा, उपरोक्त विषय के अनुसरण में मैं बताना चाहता हूं कि पिछले तीन-चार वर्षों से हमारे संघ प्रदेश दमण कलेक्टर कार्यालय में व्यापक भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही हैं, जिनमें अधिकतर गरीब और असहाय लोग हैं. उनके काम नहीं हो रहे हैं. अधिकतर गरीबों की जमीन ना तो एन.ए. हो रही है, और न तो बिक्री की अनुमति मिल रही है, न ही म्यूटेशन हो रहा है।
देखने वाली बात यह है कि रजिस्ट्रार कार्यालय (रजिस्ट्री) में संपत्ति के पंजीकरण के लिए भी 15-15 दिनों तक इंतजार करना पड़ता है। पंजीयक कार्यालय में पंजीयन अधिनियम एवं स्टाम्प अधिनियम में दी गई छूट का बिल्कुल भी पालन नहीं किया जा रहा है तथा पंजीयक द्वारा लोगों से दस्तावेज करने के लिए विभिन्न प्रकार के दस्तावेजों की मांग की जा रही है।
जो पूर्णतया अनावश्यक एवं अधिकार क्षेत्र से बाहर है रजिस्ट्रार का वे प्रक्रिया के विपरीत कार्य कर रहे हैं और वह ऐसे कागजात की मांग कर रहे हैं जो संभव ही नहीं है, संबंधित अधिकारी जानबूझ कर पंजीकरण प्रक्रिया को बाधित कर रहे हैं, आज रजिस्ट्रार कार्यालय का पैसा फेंको और तमाशा देखो” जैसी स्थिति निर्मित हो रही है।
एक ओर बात है जो उपरोक्त कार्य आम लोगों के नहीं किया जा रहा है और दूसरी ओर लगातार जुड़े हुए लोगों और पूंजीपतियों का कार्य कुछ ही समय और कुछ ही दिनों में हो रहा है। हमें यह भी शिकायत मिली है कि हमारा कलेक्टर कार्यालय अब एक मंडी बन गया है, जहां हर काम के लिए कीमतें तय की गई हैं। जो व्यक्ति उपरोक्त कीमत नहीं दे पाते उनका काम रोक दिया जाता है, उन लोगों को उक्त कार्य के लिए कार्यालय बुलाया जाता है और घंटों बैठाने के बाद वापस भेज दिया जाता है।
अब ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि पैसों के लेन-देन में भी बेशर्मी के साथ डिमांड की जा रही है। एक शिकायत यह भी है कि हमारे दमन कलेक्टर कार्यालय समय में भी कार्यालय में नहीं मिलते हैं। कलेक्टर और उनके अधिकारियों के काम के समय अवधि तय किये जाने चाहिए। ताकि लोगों को परेशानी से मुक्ति मिले।
हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप इस मामले का तुरंत संज्ञान लें और शिकायत की तत्काल प्रभाव से जांच करें और भ्रष्टाचार को तुरंत रोकें और भ्रष्टाचार के दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
इस पत्र की प्रतिलिपि भारत के माननीय प्रधान मंत्री, नई दिल्ली 2. भारत के माननीय गृह मंत्री, नई दिल्ली को भी दी गई।