Thursday, October 17News That Matters

भिलाड़वासियों ने शांतिदूत का किया भव्य स्वागत, आचारयुक्त ज्ञान ही है परिपूर्ण ज्ञान – आचार्य महाश्रमण

दादरा नगर हवेली को आध्यात्मिक आलोक से आलोकित कर जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण का गुरुवार को भिलाड़ में पदार्पण होने पर भिलाड़वासियों ने भव्य स्वागत किया। अपनी धवल सेना संग भिलाड़ के स्वामीनारायण गुरुकुल में श्रद्धालुओं को प्रवचन दिया। इससे पूर्व 15 किमी का विहार कर भिलाड़ की सीमा में पहुंचने पर लोगों ने बुलंद जयघोष के साथ अभिनंदन किया।

बाद में गुरुकुल में बने प्रार्थनालयम में भीकमजी बैद व पवन बैद परिवार द्वारा आयोजित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में आचार्य महाश्रमण ने कहा कि शास्त्र के एक श्लोक में बताया गया है कि पहले ज्ञान और फिर बाद में दया और आचरण। दुनिया में ज्ञान का परम महत्व है और अपने आप में ज्ञान पवित्र तत्व है। जिसके पास कुसाग्र बुद्धि हो, ज्ञान का खूब अच्छा विकास हो तो समझना चाहिए कि उसके ज्ञानावरणीय कर्म का अच्छा क्षयोपशम है। आचार्य ने कहा कि जिस प्रकार हंस पानी को छोड़कर दूध ग्रहण कर लेता है, उसी प्रकार आदमी को सारभूत व सत् साहित्य का अध्ययन कर ज्ञानार्जन के विकास का प्रयास करना चाहिए।

आचार्य महाश्रमण ने कहा कि कोरा ज्ञान किसी काम का नहीं होता। आचार के बिना ज्ञान का कोई विशेष महत्वन हीं होता है। ज्ञान के साथ- साथ आचार भी अच्छा हो तो ज्ञान वास्तव में पूर्ण हो सकता है। इसलिए विद्यालय और महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में ज्ञानार्जन करने वाले विद्यार्थियों को ज्ञान के साथ-साथ निर्मल आचार की प्रेरणा भी देने का प्रयास करना चाहिए।

आचार्य के मंगल प्रवचन के उपरांत साध्वी प्रमुखा ने भी भिलाड वासियों को उत्प्रेरित किया। आचार्य के स्वागत में भीकमचंद जैन ने अपनी आस्था सिक्त अभिव्यक्ति दी। गुजरात के पूर्व मंत्री व क्षेत्रीय विधायक रमण पाटकर ने भी अभिव्यक्ति देकर आचार्य से आशीर्वाद लिया। स्थानीय तेरापंथ महिला मंडल ने स्वागत गीत का संगान किया। मंगल पाठ के बाद रमण पाटकर और स्वामीनारायण गुरुकुल के संघस्वामी का भीकमचंद बैद और राजेश दुगड़ ने दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर पवन बैद, राहुल बैद, रोहित बैद, मोहित बैद, व्यवस्था समिति के अध्यक्ष रमेश कोठारी, पूर्व तेयुप अध्यक्ष संजय भंडारी व बैद परिवार समेत तेरापंथी समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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