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Liberation Day of Union Territory of Daman :- जब वापी रेलवे स्टेशन का नाम  “दमन रोड” हुआ करता था।

दमन: केंद्र शासित प्रदेश दमन को 19 दिसंबर 1961 को पुर्तगाली शासन की बेड़ियों से मुक्त कर भारत के केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था।  तब से हर साल 19 दिसंबर को दमन मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है।  हालांकि दमन के इस मुक्ति दिवस पर दमन की जगह वापी और वापी रेलवे स्टेशन का इतिहास जाने-माने दमन कवि लेखक और अंतरराष्ट्रीय कॉफी टेबल बुक्स कंपाइलर के. सी. सेठी ने कुछ तथ्यों के आधार पर दमन-वापी की जनता के सामने प्रस्तुत किया है।

जिसके बारे में लेखक के. सी. सेठी K. C. Sethi ने लिखा है कि, इतिहास के पन्ने पलटने से हमे मालूम पड़ता  है कि वापी रेलवे स्टेशन का नाम पहले  ‘दमन रोड’ स्टेशन हुआ करता था। क्योंकि दहानू रोड व नासिक रोड की तरह दमन जिसे पोर्तुगाली भाषा मैं दमाओ-Damao कहा जाता था रेलवे लाइन से पोने सात (6.3/4) मील दूर था जो अब लगभग 11 किलो मीटर दूरी पर है। उस समय यह पुर्तगाली कालोनी के अधीन था और काफी लोकप्रिय स्टेशन हुआ करता था क्योंकि इस रेलवे लाइन पर यह दूसरे देश (पोर्तुगाल) के अधीन था।

जब कि वापी एक  छोटा सा कस्बा था। एक जानकारी के अनुसार वापी एरिया में पानी की वहुत किल्लत होती थी जिस के कारण वापी व नजदीक के वासियों को बड़ी परेशनी होती थी। इस लिए इस एरिया में पानी की एक वाडी बनाई गई थी जिस से लोग पानी लेते थे। इसी वाडी (‘जल वाव’) के कारण ही इस कस्बे का नाम वापी पड़ा। दमन ब्रिटिश राज के दौरान एक पोर्टुगीज़ कॉलोनी का हिस्सा था। दमन वासीयों को दमन से बाहर जाने के लिए पुर्तगाली अधिकारियों से परमिट बनवाना पड़ता था और वापस दमन आने पर इसे प्रवेश द्वार पर जमा करवाना होता था।

उस समय इस लाइन पर ट्रैन ग्रैंड रोड स्टेशन से चल कर अहमदाबाद जाती थी। और इसी प्रकार अहमदाबाद से ग्रैंड रोड वापिस आती थी।
एक तरफ का सफर ग्रैंड रोड से अहमदाबाद उस समय के रेलवे टाइम टेबल के अनुसार 306 मील होता था जो अब 493 किलोमीटर बनता है। दमन रोड स्टेशन से ग्रैंड रोड की दूरी 104.5 मील थी  जो 168 किलोमीटर होता है  और अहमदाबाद 203.5 मील था जो 327 किलो मीटर होता है। वलसाड स्टेशन का नाम रेलवे विभाग में बुलसर (Bulsar) से जाना जाता था और अंकलेश्वर स्टेशन  का नाम ‘अंकलेश्वर- नर्मदा  फैरी’ हुआ करता था।
भारत अंग्रेजों से 1947 में आज़ाद हो गया था परंतु दमन तभी भी पुर्तगालियों के अधीन था। भारत की आज़ादी के 14 साल पश्चात पोर्तुगाली शासन से गोआ, दीव व दमन को 19 दिसंबर 1961 को मुक्ति मिली। ‘दमन रोड’ रेलवे स्टेशन का नाम भारत की आज़ादी (1947 ) के पश्चात वापी रेलवे स्टेशन कर दिया गया।
पहले दादरा,नगर हवेली मराठा साम्राज्य का एक हिस्सा था। 1783 से 1954 (171 वर्ष) तक पुर्तगालीयों के अधीन रहा। जबकि दमन पर पुर्तगालियों ने 1559 में गुजरात के सुल्तान से जीत कर अपना कब्जा कर लिया था और 402 वर्षों तक इस पर शासन किया। इसी तरह 426 साल तक दीव और 451 साल गोवा उनके अधीन रहा। पुर्तगालियों ने दादरा नगर हवेली के बजाय दमन रोड स्टेशन को अंग्रेजों से मंजूरी दिलाना उचित समझा क्यों कि दमन उनका अपना जीता हुआ क्षेत्र था जब कि दादरा नगर हवेली उन्हें तोफे में मिला था। वर्तमान में दमन की तरह दादरा नगर हवेली में ट्रेन लेने के लिए वापी रेलवे स्टेशन आना होता है।
अब वापी ‘A’ श्रेणी का रेलवे स्टेशन है और यहां से रोजाना 202 ट्रेनें होकर जाती हैं। काफी प्रयास के बाद 4 नवंबर 1864 की समय सारिणी और राजपत्र अधिसूचना के रूप में एक ऐतिहासिक साक्ष्य मिल सका है जिसे चित्रों में दर्शाया गया है। लेखक ने 1981 में पहली बार दमन का दौरा किया था, जब की यह प्रवेश द्वार वहां बना हुआ था, जो वास्तव में 1980 में केंद्र शासित प्रदेश गोवा, दीव और दमन द्वारा बनाया गया था,

बहरहाल, आज दमन के मुख्य द्वार सहित पूरे दमन का कायाकल्प हो गया है।  तो, वापी, जिसे जल वाव या वाडी से वापी के रूप में जाना जाता है, वह वापी को आज गुजरात के वलसाड जिले में एक नगरपालिका का दर्जा प्राप्त है।  वापी GIDC में और आसपास कई उद्योग हैं, तत्कालीन दमन रोड स्टेशन भी अब वापी रेलवे स्टेशन से जाना जाता है। और दक्षिण गुजरात का एक महत्वपूर्ण ‘ए’ ग्रेड रेलवे स्टेशन है जो पश्चिम रेलवे को सबसे अधिक राजस्व देता है।

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