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‘Inland Vessel bill 2021’ सिर्फ कागजी बात रह जाएगी, बरसों तक जरूरी पैसे का अलॉकेशन नहीं होगा :- शक्तिसिंह गोहिल

आज 02 August-2021 राज्यसभा में अंतर्देशीय जलयान विधेयक, 2021 (Inland Vessel bill 2021) के उपर सभापति जी की मंजूरी से कांग्रेस सांसद शक्तिसिंह गोहिल ने अपने विचार राज्यसभा के पटल पर रखे कि हमारा देश अनेक राज्यों में बंटा हुआ बहुत बड़ा देश है। हर राज्य की अपनी एक अलग किस्म की व्यवस्थाएं और अंतर्देशीय वाटर-वे/water-way है। पुराने कानून के हिसाब से राज्यों के पास जो सत्ताएं हैं, उन सभी सत्ता का सेंट्रलाइजेशन करने वाला यह बिल राज्यों के अधिकारों के ऊपर बिना वजह का हस्तक्षेप है। 

अंतर्देशीय जलयान विधेयक, 2021 यानी कि Inland Vessel bill 2021 के ऊपर कांग्रेस सांसद शक्तिसिंह गोहिल ने अपने विचार रख्ते हुए कहा कि हमारे देश में इनलैंड वेसल्स ऐक्ट, 1917 अभी मौजूद है उसकी जगह यह नया कानून इनलैंड वेसल बिल जो आज आया है, वह लेगा और इनलैंड वेसल ऐक्ट, 2021 बनेगा। मैं कहना चाहता हूं कि हमारा देश अनेक राज्यों में बंटा हुआ बहुत बड़ा देश है। हर राज्य की अपनी एक अलग किस्म की व्यवस्थाएं और अंतर्देशीय वाटर-वे है। पुराने कानून के हिसाब से राज्यों के पास जो सत्ताएं हैं, उन सभी सत्ता का centralization करने वाला यह बिल/bill राज्यों के अधिकारों के ऊपर बिना वजह का हस्तक्षेप है।

सरकार की ओर से कहा गया है कि यह नया कानून सेफ्टी, सिक्युरिटी एवं रजिस्ट्रेशन जो कि इंडियन वेसल के लिए है उनको Regulate/ रेगुलेट करेगा। यहां पर यह नोट करने जैसी बात है कि सरकार कह रही है कि हम एक सभी राज्यों के लिए नये कानून के हिसाब से सर्टिफिकेशन देना चाहते हैं यानी कि अभी जो राज्य अपनी सीमा के अंदर इंडियन वेसल यानी अंतर्देशीय जलयान के लिए अपने रूल्स बनाते हैं वे राज्यों के अधिकार,  इसकी वजह से खत्म हो जाएगा।  एक सेंट्रलाइज्ड डेटा भी इस नये कानून के तहत भारत सरकार तैयार करने जा रही है और आगे बढ़कर जो नॉन- मैकेनिकली प्रोपेल्ड वेसल्स हैं, उनको भी जिला, तालुका या पंचायत लेवल पर रजिस्ट्रेशन करवाने का प्रावधान है यानी बिल्कुल छोटे-छोटे मछुआरों को भी इससे एक नये इंस्पेक्टर-राज्य का सामना करना पड़ेगा। 

टोटल हमारे देश में चार हजार किलोमीटर का अंतर्देशीय वाटर-वेज आज उपयोग में है और यहां पर हर राज्य को अच्छे से पता है कि अपने राज्य का वाटर-वे कौन और किस तरह से इस्तेमाल करे जिससे राज्य को फायदा हो और इसी हिसाब से अभी जो प्रवर्तमान कानून है उस हिसाब से राज्य को नियम बनाकर अपने राज्य के वाटर-वे के ऊपर अपना अधिकार है। वह इनलैंड वेसल कानून, 2021 से खत्म हो जाएगा। इससे कोई फायदा होने वाला नहीं है, लेकिन राज्यों के अधिकार को समाप्त करने की यह एक कोशिश है।

सरकार बातें बड़ी-बड़ी करती हैं, पर वह सिर्फ दिखावे की होती हैं। अभी- अभी ही इसी सदन में बिना बहस के मरीन 82 नेवीगेशन बिल, 2021 पास कर दिया गया। जिस बिल में कहा था कि हम नेवीगेशन के लिए बहुत अच्छी सुविधाएं देने जा रहे हैं, लेकिन अगर फाइनेंशियल (वित्तकीय) एलॉटमेंट की बात करें तो जो पहले प्रावधान था उसमें एक पैसे की भी बढ़ोत्तरी नहीं की गई थी। इसका मतलब साफ है कि मरीन 82 नेवीगेशन सिर्फ कागजी रहेगा और इसका फायदा कोई होना नहीं है।

असल में यह सरकार जो कहती है वह बात बड़ी-बड़ी होती हैं लेकिन उसे कार्यान्वित करने में गंभीरता नहीं होती है। बजट स्पीच में कहा गया था कि शीप रिसाइक्लिंग को सरकार डबल करना चाहती है और 1.5 लाख नये जॉब इससे क्रिएट करना चाहती है लेकिन असल बात यह है कि एशिया के सबसे बड़े शीप ब्रेकिंग यार्ड ‘अलंग’ जो कि गुजरात के भावनगर डिस्ट्रिक्ट में है उनकी अनदेखी की जा रही है। दुनिया में अगर हम देखें तो यूरोपियन देशों के पास दुनिया के बड़े- बड़े शीप के 35 प्रतिशत सीप्स की मालिकी है। और हमारे देश ने हांगकांग कन्वेंशन, 2019 में रेक्टिफाइड किया है। लेकिन फिर भी हम यूरोपियन यूनियन के स्टैंडर्ड को मैच नहीं कर पाने की वजह से ‘अलंग’ में यूरोपियन कंट्री शीप ब्रेकिंग के लिए शीप नहीं भेंजते हैं।

हमें ‘अलंग’ में शीप ब्रेकिंग के लिए Hazardous Waste Material Handling Management System, Right to Labor and Human Rights, Health and Safety के जरूरी कदम और इन्वायरनमेंट मैनेजमेंट के लिए व्यवस्था ‘अलंग’ शीप ब्रेकिंग यार्ड में करनी बहुत जरूरी है। यह नहीं होने से यूरोपियन देशों के जहाज शीप ब्रेकिंग के लिए हमारे देश को नहीं मिल रहें हैं जिसकी वजह से हमारे यहां का शीप ब्रेकिंग इंडस्ट्रीज बड़ी ही मुश्किल का सामना कर रहा है।

सरकार ने इनलैंड वेसल बिल, 2021 के ड्राफ्ट में यह भी कहा है कि गहरे समुद्र के संशोधन के लिए और उपयोगिकता के लिए भी काम किया जाएगा, लेकिन यह सिर्फ कागजी बात रह जाएगी क्योंकि जो सरकार का प्लान है उसके हिसाब से बरसों तक जरूरी पैसे का अलॉकेशन नहीं होगा। खुद सराकर ने जो प्लानिंग बताई है उसके मुताबिक वित्तकीय सहायता का प्रावधान नहीं है।

अनुरोध है कि इंडियन वेसल बिल, 2021 जल्दबाजी में पास करने के बजाय सेलेक्ट कमेटी को भेजना चाहिए और इसके ऊपर पूरी तरह से चर्चा होने के बाद जरूरी अमेंडमेंट हो जाए। उसके बाद ही हाउस में लाना चाहिए। मुझे दुख है कि सरकार अपने अहंकार को लेकर विरोधी दल के साथ वार्तालाप नहीं कर रही है और राष्ट्र की सुरक्षा जैसा अति चिंता वाला मामला ‘पेगासिस’ जासूसी सॉफ्टवेयर की वजह से खड़ा हुआ है। उसकी चर्चा जो कि विपक्ष की मांग है एवं महंगाई और किसानों के जन-आंदोलन की चर्चा विरोधी दल चाहते हैं उसके ऊपर सरकार कोई सकारात्मक सहयोग या वार्तालाप नहीं कर रही है और इस हालात में जनता और राष्ट्र की सुरक्षा के मुद्दे को अग्रिमता देना विरोधी दल का धर्म है और इसलिए विरोधी दल अपनी मांग पर कायम है। जिसकी वजह से हाउस नहीं चल रहा है और हाउस ऑर्डर में नहीं है, तो मैं इनलैंड वेसल बिल, 2021 के ऊपर की चर्चा में सभापटल पर ऐसा शक्तिसिंह गोहिल ने कहा है 

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