जब भी दमन की बात करते हैं तो सब से पहले पोर्तुगलियों द्वारा बनाये गए स्मारकों की सुंदरता व उनकी देख रेख की बात होती है। आज से 62 साल पहले 19 दिसंबर 1961 को दमन, दीव व गोवा को पुर्तगालियों से मुक्ति मिली थी। जब दमन की तरक्की की बात होती है तो प्रशासक प्रफुलभाई पटेल का नाम दिलोदिमाग में आता है। जिन्होंने दमन की रूप रेखा ही बदल के रख दी है। सब से महत्वपूर्ण कार्य उन्होंने दमन समुंदर के किनारे कॉरिडोर बनवाने का किया जिस से नानी व मोटी दमन की सुंदरता में चार चाँद लग गए हैं। दमन में पुर्तगाली स्मारकों व इन की देख रेख की बात करते हैं तो अब लगभग 450 साल पुराने हो चुके है।
Fort of Moti Daman/मोटी दमन का किला
मोटी दमन किले का निर्माण A.D.1559 में शुरू हुआ और A.D.1581 में समाप्त हुआ जब दमन एक पुर्तगाली एन्क्लेव था। इसकी दीवारें 30,000 वर्ग मीटर के बड़े क्षेत्र को घेरती हैं। इस प्रसिद्ध किले को घुमक्कड़ों का स्वर्ग भी कहते है क्योंकि इस के अंदर बहुत सारी पुरानी बिल्डिंग स्थित हैं जैसे गवर्नमेंट हाउस, कैथेड्रल ऑफ़ बोम जीसस , डोमिनिकन मठ, बोकेज हाउस जो पुर्तगाली कवि के घर के रूप में भी जाना जाता है, प्रकाश स्तंभ,कॉन्वेंट स्कूल, सरकारी क्वार्टर, और सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र जैसे कई सरकारी संगठन,जिला पुस्तकालय, तीन उद्यान, जिला न्यायालय, दमन नगर परिषद, दमन जेल, आदि हैं। नए बनी इमारतों में प्रशासक सचिवालय, पैरागुला व वॉर मेमोरियल आते हैं।
Daman Municipal Council/दमन परिषद का इतिहास
इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों के डी.सी.-दा -ब्रागानज़ा के शासन के दौरान, दमन पर विजय प्राप्त करने वाले पुर्तगाली नायक के आदेश से किया गया था, और इसे 1581 में पुर्तगाल में इवोरा शहर की नगर पालिका का दर्जा दिया गया था। यह इवोरा नगर पालिका अब पुर्तगाल में यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल एक स्मारक है। यह 1585 में पूरी तरह से चालू हो गया था। यह नगर पालिका एशिया की सबसे पुरानी नगर परिषद है। इसके मुख्य द्वार पर दमन नगर परिषद के नाम का एक लाल बोर्ड लगा हुआ है, जिस पर पुर्तगाली भाषा में “सिनाडो पब्लिको नोबल ई लिल प्रोविसिजोन डी 1581” लिखा हुआ है, जिसका अंग्रेजी भाषा में अनुवाद इस प्रकार है: “दमन नगर परिषद, एक सार्वजनिक सीनेट 1581 के प्रावधान के प्रति वफादार है”
पुर्तगाली शासन में इसे कामारा डी दमाओ के नाम से बुलाया जाता था, बाद में इसे कामरा म्युनिसिपल डी दमाओ और अब दमन की नगर परिषद कहा जाता है। 1961 से पहले, दीव द्वीप का नगरपालिका क्षेत्र भी दमन की नगरपालिका परिषद के नियंत्रण में था, इसे जेडी कामारा-डी-डीडीआईओ भी कहा जाता था। इसका निर्माण 1616 में हुआ था। लेकिन दमन परिषद का निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ था और इसे पुर्तगाली कानून 1581 के तहत पुर्तगालियों द्वारा बनाया गया था, शहर को इवोरा नगर परिषद के समान अधिकार दिए गए थे, ऐसा लगता है कि यह 1581 के बाद और 1600 से पहले शुरू हुआ क्योंकि इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ था। आज भी दमन म्युनिसिपल कौंसिल का दफ्तर इसी बिल्डिंग से कार्यरत है।जिस की शोभा अभी भी बरकरार है।
Bom Jesus Church/बॉम जीसस का चर्च
1559 में स्थापित और 1603 में प्रतिष्ठित, कैथेड्रल ऑफ बॉम जीसस पुर्तगालियों की शानदार इंजीनियरिंग कलात्मकता का एक उत्कृष्ट नमूना है। इस चर्च के जटिल नक्काशीदार प्रवेश द्वार, अलंकृत आंतरिक भाग और कलात्मक लकड़ी की वेदियाँ समय की कसौटी पर खरी उतरी हैं। ऊंचे अग्रभाग और ऊंची छत के साथ दक्षिण का समृद्ध नक्काशीदार प्रवेश द्वार, छह संतों की सौंदर्यपूर्ण रूप से नक्काशीदार मूर्तियों से सुशोभित है। पारंपरिक रोमन कला और वास्तुकला के लोकाचार को प्रतिबिंबित करते हुए, बोम जीसस को समर्पित चर्च बड़ी संख्या में पर्यटकों और तीर्थयात्रियों दोनों को आकर्षित करता है। भारत सरकार इस कि पूरी देखरेख की है और यह पर्यटकों की सब से पहली पसंद है।
Dominican Monastery/डोमिनिकन मठ (एक खंडर चर्च)
मोटी दमन के किले में स्थित डोमिनिकन मठ को अक्सर खंडर चर्च के रूप में जाना जाता है। अधिकांश यात्री इस पुरातात्विक परिदृश्य की जिज्ञासा जगाने वाले दृश्य को देखने के लिए आते हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश पुर्तगाली औपनिवेशिक युग के इसके इतिहास से अनजान हैं। इसे क्षेत्र का सबसे प्रतिष्ठित चर्च माना जाता था। ऐसा कहा जाता है कि यह मठ 1567 में सेंट डोमिनिक की याद में बनाया गया था। ऐसा माना जाता है कि चर्च का विनाश भूकंप के कारण हुआ था। चर्च का निर्माण करने वाले निर्माण श्रमिकों ने क्लासिक पुर्तगाली वास्तुशिल्प तरीकों का इस्तेमाल किया गया है। आगंतुकों को मठ की मेहराबों और दीवारों का अवलोकन करने का मौका मिलता है जो भूकंप को भी झेल गईं।
कैथोलिक समुदाय प्रत्येक वर्ष मठ में दो महत्वपूर्ण अवसर मनाता है। पहला आयोजन 2 फरवरी को होता है जब समुदाय मठ के इतिहास के बारे में पादरी द्वारा सुनाई गई कहानियों को सुनने के लिए साइट पर इकट्ठा होते हैं। दूसरे अवसर पर, जो दिसंबर के हर तीसरे रविवार को आता है, कैथोलिक सेंट डोमिनिक और भूकंप में अपनी जान गंवाने वाले दिवंगत आत्माओं की याद में पवित्र सामूहिक प्रार्थना का आयोजन करते हैं।
Daman Lighthouses/दमन के प्रकाशस्तंभ
दमन लाइटहाउसज़ भी एक प्रसिद्ध स्थान है जहां लोग उसके आसपास का अद्भुत दृश्य देखने के लिए जाना पसंद करते हैं। दमन में दो प्रकाशस्तंभ हैं। दोनों दमणगंगा खाड़ी के पास स्तिथ हैं। पुराना लाइटहाउस जो पोर्तुगलियों ने बनवाया था जिसे पोर्तुगली में दामाओ रियो सैंडलकालो 1884 बोला जाता है, मोटी दमन किले के परिसर में हैं। एक पोस्ट पर छोटी रोशनी के साथ यह 10 मीटर (33 फीट) गोल चिनाई वाला टॉवर है । अब इसे पुराना लाइटहाउस कहा जाता हैं और यह 1999 से निष्क्रय है।
नया लाइटहाउस भारत सरकार द्वारा पुराने लाइटहाउस के पास ही 1998 में बनाया गया परंतु यह मोटी दमन किले के बाहर स्थित है। इसमें एक घूमने वाला टॉवर है, और 204 मीटर व्यास का लालटेन घर भी अपने शिखर पर बनाया गया है। इस लाइटहाउस के शीर्ष पर एक रडार भी लगाया गया है जो दिन-रात घूमता रहता है। इन दोनों लाइट हाउसेस पर श्री के सी सेठी ऑथर, ने एक कविता में इन का वर्णन बाप और बेटे के रूप में किया है जो समुद्री धरती पर सदियों से सेवा कर रहे है। बाप, बेटे को सिर ताने अपने बाजू में खड़ा देख कर बहुत गर्व महसूस करता है।
Chapel of our lady Angutias/चैपल ऑफ अवर लेडी ऑफ अंगुस्टीयस
दमन में सबसे पुरानी चर्च मानी जाने वाली चैपल ऑफ आलेडी ऑफ एंगस्टियास है। जो मोटी दमन किले के बाहर व ठीक फुटबॉल मैदान के बगल में स्थित है। 17वीं शताब्दी में एगोस्टिन्हो जेवियर डी सिल्वा विदिगल की कब्र पर एक पुर्तगाली गवर्नर द्वारा निर्मित कराई गई थी , चैपल का इतिहास उस समय का है जब 1510 में बीजापुर के सुल्तान को पुर्तगाली कमांडर अल्फोंसो डी अल्बुकर्क ने हराया था। आज, चर्च उसी के रूप में खड़ी है। पुर्तगाली कलाकारों की लकड़ी की वास्तुकला और शिल्प का बेहतरीन नमूना है। जटिल डिज़ाइन वाली सोने की परत वाली वेदी का दृश्य चर्च का प्रमुख आकर्षण है।
Saint Jerome Fort Nani Daman/सेंट जेरोम किला,नानी दमन।
1614 ई. में मुगल आक्रमण के बाद भारत के 12वें पुर्तगाली वायसराय डोम जेरोनिमो डी अज़ेवाडो द्वारा शुरू किया गया और 1672 ई. में डोम फ्रांसिसो डी गामा के समय में पूरा हुआ। एक विशाल मूर्ति जो सेंट जेरोम की है इस के प्रवेश द्वार पर स्थित है जो दमन गंगा नदी के सामने पड़ता है। एक छोटा किला है। इस के अन्दर “अवर लेडी ऑफ दी सी” चर्च स्थापित है और एक भाग में क्रिस्चियन का कब्रिस्तान भी है।
Our Lady of The Sea church/अवर लेडी ऑफ दी सी चर्च
यह दमन में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है, जो अपनी परिष्कृत वास्तुकला और चर्च के अंदरूनी हिस्सों को सजाने वाली खूबसूरत पेंटिंग के लिए प्रसिद्ध है। इस चर्च को दमन में पूजा के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है और हजारों ईसाई अनुयायी दिव्य आनंद की तलाश में इस चर्च में आते हैं। जिसका निर्माण वर्ष 1627 में किया गया था।
The Church Of Our Lady Of Remedies/अवर लेडी ऑफ़ रेमेडीज़ चर्च
आवर लेडी ऑफ रेमेडीज़ एक अद्भुत चैपल पुरानी दुनिया का आकर्षण प्रदर्शित करता है। मुख्य आकर्षण एक सफेद क्रॉस है जिसे फूलों से खूबसूरती से सजाया गया है। जैसे ही हम परिसर में प्रवेश करते हैं, एक जटिल नक्काशीदार घंटी, जो बगल के दरवाजों और खिड़कियों से मेल खाती है, हमारा स्वागत करती है। मुख्य वेदी की नक्काशी जो 17वीं शताब्दी की वास्तुकला शैली को प्रतिबिंबित करती है। चैपल का निर्माण 1607 ईस्वी में एक पुर्तगाली गवर्नर और कप्तान रुय डी मेलो डी संपायो द्वारा एक चैपल के रूप में किया गया था। और यह मोटी दमन के नए किले के बाहरी इलाके में स्थित है।
Our Lady Of Fatima Church/अवर लेडी ऑफ फातिमा चर्च
मोटी दमन किले के परिसर में आवर लेडी ऑफ फातिमा कान्वेंट स्कूल के परिसर में एक पुराने पुर्तगाली चर्च के खंडहर हैं। बिना छत वाले चर्च के खंडहर इतने ऊँचे हैं कि इन्हें मोटी दमन किले की सड़क से भी देखा जा सकता है। इस भी 16वीं सदी में बनाया गया था।
Daman Jetty, दमन जेट्टी
दमन गंगा नदी के तट पर, दमन जिले के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक, नानी दमन जेट्टी स्थित है। यह लंबे समय से स्थानीय लोगों और पर्यटकों द्वारा ख़ाली समय बिताने के लिए एक पसंदीदा स्थान रहा है। इस क्षेत्र में जेट्टी गार्डन, मुहाना, गोदी, कई फास्ट फूड स्टॉल, सेंट जेरोम किला शामिल है जिस के अंदर चर्च ऑफ अवर लेडी ऑफ दी सी स्थित है। इसमें सभी आयु समूहों और विभिन्न एजेंडा वाले यात्रियों के लिए कुछ न कुछ है।
Jetty Garden :जेट्टी गार्डन,
जेट्टी गार्डन वर्षों से बच्चों के बीच लोकप्रिय रहा है क्योंकि इसमें बच्चों के खेल का मैदान है। आपको उस दृश्य का अनुभव मिलता है जिसमें मुहाना शामिल है, जहां दमन गंगा नदी अरब सागर से मिलती है।इस को भारत सरकार ने नया स्वरूप दिया है ,बच्चों के झूले, हाई राइज स्टैंड, लाइब्रेरी व फ़ूड शोप भी है।
Nani & Moti Daman Markets :नानी व मोटी दमन मार्किटस
नानी दमन के मेंन चार रास्ता पर नगरपालिका मार्किट का जीर्णोद्धार वहां पुलिस स्टेशन, नानी दमन के सामने पड़ता है। शहर के केंद्र में स्थित यह मार्कीट 1879 के पुर्तगाली युग के समय निर्मित एक ऐतिहासिक इमारत है। उक्त बाज़ार अपने निर्माण से लेकर अब तक बहुत प्रसिद्ध बाज़ार है। इस बाज़ार में आयातित उत्पाद उपलब्ध हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इस कार्यालय की परिषद ने प्रशासन से अपने विरासत मूल्य को ध्यान में रखते हुए इसे विकसित करने और सौंदर्यीकरण करने का अनुरोध किया।
तदनुसार, प्रशासन ने उक्त बाजार का नवीनीकरण करने का निर्णय लिया, नवीनीकरण इस तरह से किया गया कि पुराने प्रकार की छत, फर्श और अंदर और बाहर आकर्षक रंग प्रदान करके इस बाजार का ऐतिहासिक मूल्य समान रखा गया। मौजूदा दुकानदरों को ज्यादा परेशान नहीं किया गया, मैंग्लोर छत टाइल्स के साथ नई संरचनात्मक छत प्रदान की गई, और बाहरी दीवार बनाई गई जो बिल्कुल वैसे ही थी। पोर्तुगलियों के समय इसे 1879 में बनाया गया और फिर इस का 1937 में विस्तार किया गया था ।मार्किट के दोनो तरफ इस के निर्माता व निर्माण का वर्ष पुर्तगाली भाषा के उभरे शब्दों में लिखा हुआ है।
Poets Of Daman And Their Houses/दमन के कवी व उनके घर
जब मोटीती दमन किले में इसके मुख्य द्वार जो दमन गंगा नदी के सामने है से प्रवेश करते हैं तो गेट के साथ ही में एक छोटा सा घर पुर्तगाली कवि बोकेज (एलमानी सादिनो) का था जिन्हें 1786 में गार्डा-मारिन्हा के रूप में गोवा में प्रतिनियुक्त किया गया था। बोकाजे का पुर्तगाली नौसेना मैं शामिल होने के पीछे एक प्रेरणा पुर्तगाली साम्राज्य की एशिया में वीरतापूर्ण परंपराएँ थीं जैसा कि पुर्तगाल में प्रस्तुत किया गया था। हालाँकि, भारत में पुर्तगाली साम्राज्य की वास्तविकता को देखने के बाद, उन्होंने तत्कालीन गवर्नर और पुर्तगाली भारत के वायसराय को निर्देशित व्यंग्यात्मक सॉनेट लिखे। नतीजतन, उन्हें गोवा छोड़ने की सलाह दी गई। गोवा से बाहर निकलने के बाद, वह 1789 की शुरुआत में दमन में लेफ्टिनेंट के रूप में इन्फेंट्री कंपनी में शामिल हो गए। दमन में उनका प्रवास संक्षिप्त था क्योंकि कुछ ही समय बाद वह मकाऊ भाग गए। 18वीं सदी के वो मशुहर व्यंग्यात्मक कवि थे। यह घर अभी भी खूबसूरत लुक में है और सरकार पुर्तगाली विरासत को जीवित रखने का पूरा ध्यान रख रही है।
दमन में दूसरे महान कवि गुजराती थे जिन्हें कवि खबरदार के नाम से जाना जाता है।
इन का कवि अर्देशर कह कर भी पुकारा जाता था जिन का जन्म एक पारसी परिवार में 6 नवंबर 1881 को दमण में हुआ था। उनकी प्राथमिक शिक्षा दमन में और माध्यमिक शिक्षा न्यू भरदा हाईस्कूल, बॉम्बे से हुई। उन्होंने 1909 में मद्रास में मोटरसाइकिल सहायक उपकरण का व्यवसाय शुरू किया। उन्होंने 1941 में गुजराती साहित्य परिषद की अध्यक्षता की। उन्होंने कई उपनामों से लिखा, मुख्यतः अदल के अंतर्गत। उनके अन्य उपनाम मोतीलाल, खोजो भगत, क्षेमानंद भट्ट, नरकेसरीराव, शभुनाथ, श्रीधर, शेषाद्रि, लाखा भगत, वल्कलराय थाथखोर और हुन्नरसिंह मेहता हैं। उन्होंने गुजराती में लगभग चालीस और अंग्रेजी में दो किताबें लिखीं।30 जुलाई 1953 को मद्रास में उनकी मृत्यु हो गई
कवि खबरदार का एक बहुत बड़ा व सुंदर घर जेटी रोड पर अभी भी है जो लगभग 160 साल पुराना है,यह खोजा जमात खाना के सामने स्थित हैं। इस में 1961 से एक लुल्ली परिवार रहता है और इस कि पूरी देख रेख करता है। इसी घर में आज के दौर के लेखक के सी सेठी की सिस्टर श्रीमती कांता ग्रोवर लगभग 25 साल अपने परिवार के साथ रह चुकी हैं। जनवरी 1981 में पहली बार जब के सी सेठी दमन आये थे तो इसी घर में ठहरे थे।
Nani Daman Police Station/नानी दमन पुलिस स्टेशन
जेट्टी रोड पर आते ही नानी दमन पुलिस स्टेशन दिखाई देता है जो एक भव्य बिल्डिंग के रूप में बना हुआ था और लगभग 170 साल पुराना था। बिल्डिंग बाहर से बहुत सुंदर थी पर उस की छत 2-3 बार बदल दी गई थी। आगे का भाग पोर्तुगीज रूलर्स ने बनवाया था और पीछे का भाग भारतीय सरकार ने।आज के समय की आवश्कयता देखते हुए इस में बैठने की जगह बहुत कम थी और दिन प्रति दिन इस का लकड़ी से बना ढांचा कमजोर पड़ रहा था। सरकार ने इसे तीन मंजिला बनाने का निर्णय लिया और इसे स्वरूप देने के लिए नए पुलिस स्टेशन को बनाना चॉलू कर दिया है। जो लगभग 1 साल तक पूरा हो जाएगा।
पुर्तगालियों के समय से दमन की चर्चों के सिवाय धार्मिक स्थलों में 10 मशूहर मंदिर, 1खोजा जमात खाना,1 मस्जिद अल बादरी, 7 बड़ी मुसलमानों मस्जिद, 1 मदरसा, व पारसी धर्मस्थल इत्यादि थे जो अब भी पूर्ण रूप से अछि अवस्था में हैं। नए ऐसे बहुत से कार्य हैं जो दमन के रंग रूप को बदल कर रख देंगे।
के सी सेठी, कवि,लेखक व इंटरनेशनल ऑथर दमन…..
श्रीमती सुनीता सेठी व श्री के सी सेठी ने 2016 में दमन, दीव, गोवा, दादरा, नगर हवेली व पोर्तुगाली शासन (1510-1961) पर एक कॉफ़ी टेबल बुक पबलिश की जिस का विमोचन दमन ,दीव व दादरा नगर हवेली सरकार ने 17 दिसंबर 2016 को एक सार्वजनिक समारोह में किया।इस कि एक प्रति सभी स्कूलों को भिजवाई गई ।और 2019 में इस की गुजराती भाषा में बनाई गई कॉफ़ी टेबल बुक का विमोचन हुआ।
Major Ortiz
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